मच्छर जनित बीमारी और उसकी रोकथाम को लेकर जागरूकता लाने के लिए हर साल देश में 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है। इस साल “डेंगू के खिलाफ एक साथ: एक मजबूत और सुरक्षित समुदाय का निर्माण” थीम के साथ यह दिवस मनाया जा रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के लिए डेंगू अभी भी एक चुनौती है और इससे निपटने के लिए जितना लोगों का जागरूक होना जरूरी है उतना ही इलाज और टीका व आसान जांच तकनीकों की खोज पर जोर देना जरूरी है।
2022 में जिओ हेल्थ मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भारत में डेंगू के चल रहे प्रसार के लिए मानसून की देर से वापसी को जिम्मेदार ठहराया गया है। डेंगू संचरण तीन प्रमुख कारकों- वर्षा, आर्द्रता और तापमान के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। भौगोलिक क्षेत्रों में डेंगू के संचरण के लिए यही जिम्मेदार हैं। वर्ष 1951 से 1960 और वर्ष 2012 से 2021 के बीच भारत में डेंगू संचरण की प्रवृत्ति में 1.69% की वृद्धि हुई है।
जलवायु परिवर्तन के चलते थार रेगिस्तान के गर्म शुष्क इलाके में एडीज एजिप्टी और ठंडे ऊपरी हिमालय में एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर के विस्तार का अनुमान है।
वर्तमान में, एडीज एजिप्टी दक्षिणी प्रायद्वीप, पूर्वी समुद्र तट, उत्तर-पूर्वी राज्यों और उत्तरी मैदानों में अधिक प्रचलित है। एडीज एल्बोपिक्टस पूर्वी और पश्चिमी तट रेखाओं, उत्तर-पूर्वी राज्यों और निम्न हिमालय में सक्रिय है। डेंगू के पीछे इन्हीं दो प्रजातियों को जिम्मेदार माना जाता है।
कोरोना महामारी में डेंगू संक्रमण
डेंगू और कोरोना संक्रमण के लक्षण काफी हद तक सामान्य हैं। इनके मरीजों में अंतर पता नहीं चलता। इसकी वजह से निदान और उपचार की देरी भी संभव है। – डॉ. राजकुमार, इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर, नई दिल्ली