भारतीय दंड संहिता की धारा 120ख के अनुसार, (1) जो कोई मॄत्यु, 2[आजीवन कारावास] या दो वर्ष या उससे अधिक अवधि के कठिन कारावास से दंडनीय अपराध करने के आपराधिक षड््यंत्र में शरीक होगा, यदि ऐसे षड््यंत्र के दंड के लिए इस संहिता में कोई अभिव्यक्त उपबंध नहीं है, तो वह उसी प्रकार दंडित किया जाएगा, मानो उसने ऐसे अपराध का दुष्प्रेरण किया था ।
(2) जो कोई पूर्वोक्त रूप से दंडनीय अपराध को करने के आपराधिक षड््यंत्र से भिन्न किसी आपराधिक षड््यंत्र में शरीक होगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से अधिक की नहीं होगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
सवाल
मैं जानना चाहता हूं कि 420/120 बी जमानती है या नहीं और मैं यह भी जानना चाहता हूं कि अगर पटियाला अदालत ने जमानत को खारिज कर दिया है तो हम पटियाला हाउस कोर्ट में फिर से जमानत देंगे
उत्तर -जसकरन सिंह एडवोकेट
धारा 420 एक गैर-जमानती अपराध है, लेकिन अगर आपकी रक्षा में कुछ अच्छा आधार है, तो आप निश्चित रूप से जमानत प्राप्त करेंगे
सवाल
120B, 420,468,471 ipc सेक्शन CBI केस है। जमानत मिलेगी या नहीं?
उत्तर जसकरन सिंह एडवोकेट
धारा 420 और 468 गैर-जमानती हैं लेकिन किसी को 120 बी और 471 के तहत जमानत मिल सकती है। धारा 420 और 468 में अधिकतम सजा कुल मिलाकर 7 साल से 10 साल है जुर्माने के साथ है। ये अपराध प्रकृति में गंभीर हैं और जमानत देना मामले के तथ्यों और अदालत के विवेक पर निर्भर करता है।
जसकरन सिंह एडवोकेट
B.Com, एलएलबी, एलएलएम (ऑनर्स)
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय
JASKARAN SINGH Advocte
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