डायबिटीज एक मेटाबोलिक डिजीज (metabolic disease) है, जो रक्त में शर्करा की उच्च मात्रा का कारण बनती है।डॉ. कोमलप्रीत कौर ने कहा मधुमेह का इलाज न किया जाए, तो ब्लड शुगर की उच्च मात्रा आपकी नसों, आंखों, किडनियों और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है। अतः इसकी जटिलताओं को कम करने के लिए तथा इससे निजाद पाने के लिए समय पर निदान किया जाना आवश्यक होता है।
डायबिटीज क्या है
मधुमेह (डायबिटीज) एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता है और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर पाती हैं। इंसुलिन बहुत महत्वपूर्ण हार्मोन है, क्योंकि यह ब्लड के माध्यम से शरीर की कोशिकाओं तक ग्लूकोज को पहुंचाता है। इसके अलावा यह मेटाबोलिज्म पर भी कई अन्य प्रभाव डालता है।
व्यक्ति जो भोजन करता है उससे शरीर को ग्लूकोज प्रदान होता है। कोशिकाएं शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए ग्लूकोज का उपयोग करती हैं। यदि शरीर में इंसुलिन मौजूद नहीं होता है, तो ब्लड से कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं मिल पाता है। जिसके कारण ग्लूकोज ब्लड में ही इकट्ठा हो जाता है और ब्लड में अत्यधिक ग्लूकोज की मात्रा विषाक्तता उत्पन्न कर सकती है। आमतौर पर मधुमेह तीन प्रकार का होती है, टाइप-1 डायबिटीज, टाइप-2 डायबिटीज एवं जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भावस्था के दौरान होने वाली शुगर)।
मधुमेह के सामान्य कारण
आम तौर पर मधुमेह तब होता है, जब अग्न्याशय (pancreas) आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन से रक्त शर्करा (glucose) और वसा का उपयोग करने में मदद करने के लिए इंसुलिन जारी नहीं करता है। या फिर शरीर सही तरीके से इंसुलिन का उपयोग करने में सक्षम नहीं हो पाता है। इसके अलावा डायबिटीज के मुख्य कारण
- इंसुलिन की कमी *
- परिवार में किसी व्यक्ति को मधुमेह होना
- उम्र बढ़ना
- बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल
- एक्सरसाइज की कमी
- हार्मोन की समस्या
- उच्च रक्तचाप
- असंतुलित भोजन का सेवन।
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डायबिटीज के प्रकार
- मधुमेह के मुख्य रूप से चार प्रकार हैं:
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टाइप-1 डायबिटीज
- टाइप-1 डायबिटीज के सटीक कारण ज्ञात नहीं है। आमतौर पर मनुष्य के शरीर का इम्यून सिस्टम हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से लड़ता है, और शरीर की रोगों से रक्षा करता है। जब यह इम्यून सिस्टम अग्न्याशय (pancreas) में इंसुलिन उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें क्षतिग्रस्त कर देता है, तब व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन का स्तर घट जाता है। जिसके कारण शुगर शरीर की कोशिकाओं में पहुंचने के बजाय ब्लड स्ट्रीम में ही स्टोर होने लगता है। मधुमेह वाले लगभग 10 प्रतिशत लोगों में इस प्रकार की डायबिटीज पाई जाती है।
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टाइप- 2 डायबिटीज
- प्रीडायबिटीज ही टाइप-2 डायबिटीज का कारण होता है। टाइप-2 डायबिटीज में शरीर की कोशिकाएं, इंसुलिन के कार्य में प्रतिरोध (resistant) उत्पन्न करने लगती हैं, और अग्न्याशय इस प्रतिरोध को दूर करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का निर्माण नहीं कर पाता है। इसके बाद कोशिकाओं में शुगर जाने के बजाय यह ब्लड स्ट्रीम में बढ़ने लगता है। वजन का अत्यधिक बढ़ना टाइप-2 डायबिटीज का कारण होता है।
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प्रीडायबिटीज
- प्रीडायबिटीज तब होती है. जब रक्त शर्करा (ग्लूकोस) का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन यह स्तर टाइप 2 मधुमेह से कम होता है।
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जेस्टेशनल डायबिटीज
- प्रेगनेंसी के दौरान गर्भनाल या प्लेसेंटा (placenta) गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए हार्मोन का उत्पादन करता है। ये हार्मोन कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी बना देते हैं। आमतौर पर अग्न्याशय इस प्रतिरोध को दूर करने के लिए पर्याप्त और अतिरिक्त इंसुलिन का उत्पादन करता है, लेकिन कभी-कभी यह पर्याप्त इंसुलिन उत्पन्न नहीं कर पाता है। जिसके कारण कोशिकाओं में बहुत कम ग्लूकोज पहुंचता है, और ब्लड में यह अत्यधिक मात्रा में जमा हो जाता है। इस स्थिति को जेस्टेशनल डायबिटीज हो जाता है।
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मधुमेह के लक्षण
- व्यक्ति के शरीर में बढ़े हुए ब्लड शुगर के अनुसार उसमें मधुमेह के लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादातर लोगों में प्री डायबिटीज (prediabetes) या टाइप-2 डायबिटीज होने पर शुरूआत में किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन टाइप-1 डायबिटीज होने पर इसके लक्षण बहुत तेजी से उत्पन्न होते हैं और अधिक गंभीर होते हैं। टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मिले-जुले लक्षण इस प्रकार हैं।
- प्यास अधिक लगना
- लगातार पेशाब आना
- अत्यधिक भूख लगना
- बिना वजह शरीर का वजन घटना
- पेशाब में किटोन (ketones) की उपस्थिति
- थकान
- चिड़चिड़ापन
- अचानक वजन बढ़ना
- आंखों से धुंधला दिखायी देना
- घाव धीरे-धीरे भरना
- लगातार त्वचा, योनि (vaginal infections) और मसूढ़ों में संक्रमण बने रहना
- टाइप-1 डायबिटीज व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है। टाइप-2 डायबिटीज इस रोग का सबसे सामान्य प्रकार है। 40 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में डायबिटीज होना सामान्य बात है।
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मधुमेह के जोखिम कारक
- कुछ कारक मधुमेह के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:टाइप 1 मधुमेह के जोखिम कारक – टाइप 1 मधुमेह होने की अधिक संभावना बच्चों और किशोरियों को होती है, इसके अलावा टाइप 1 मधुमेह का पारिवारिक इतिहास भी इसके जोखिम को बढ़ा सकता है।टाइप 2 मधुमेह के जोखिम कारक – टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में निम्न को शामिल किया जाता है:
- अधिक वजन होना
- 45 वर्ष या उससे अधिक की उम्र का होना
- शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहना
- अनुवांशिक स्थिति।
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मधुमेह से बचाव
शुगर एक गंभीर बीमारी है। इससे पीड़ित व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर डायबिटीज से बचाव किया जा सकता है। मधुमेह के बचाव सम्बन्धी उपाय में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
- मीठे खाद्य पदार्थ और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट युक्त चीजें खाने से परहेज करें।
- नियमित एक्सरसाइज करें, सुबह-शाम टहलें और खूब शारीरिक परीश्रम करें। शरीर को अधिक से अधिक एक्टिव रखें।
- अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीएं और मीठे एवं सोडा युक्त पेय पदार्थ का सेवन करने से बचें। संभव हो तो आइसक्रीम भी न खाएं।
- अगर आपके शरीर का वजन बढ़ गया हो तो उसे शीघ्र नियंत्रित करें अन्यथा शुगर होने का खतरा बढ़ सकता है।
- धूम्रपान एवं एल्कोहल का सेवन न करें, अन्यथा शुगर होने की संभावना बढ़ सकती है।
- अधिक फाइबर एवं प्रोटीन युक्त भोजन शुगर से सुरक्षा प्रदान करने में मदद करता है।
- ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है इसलिए विटामिन डी की शरीर में कमी न होने दें।