फेस्टिव सीजन में भारतीय कारोबारियों की बल्ले-बल्ले, ड्रैगन को लगा झटका

पंजाबी हेंडलाइन ( हरमिंदर सिंह किट्टी  ) जहां भारतीय कारोबारी अच्छा व्यापार (Diwali Record Business ) होने के कारण जश्न मना रहे हैं. वहीं चीन को लगभग एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. देश के लोग भारत में बने प्रोडक्ट की ज्यादा मांग कर रहे हैं. जिसके कारण चीन का व्यापार प्रभावित हुआ.

देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वोकल फॉर लोकल (Vocal for Local Campaign) की मुहीम शुरू की है. जिसका असर इस फेस्टिव सीजन पर देखने को मिला. नवरात्रि, दशहरा और दिवाली (Deepawali Business ) जैसे त्योहारों को देशवासियों ने बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया. जिसके कारण बाजार गुलजार रहा. इस दौरन भारतीय कारोबारियों की बल्ले-बल्ले हो गई. केवल दिवाली के पांच दिन त्यौहार में ही 3.75 लाख करोड़ का रिकॉर्ड कारोबार हुआ.

चीन को लगा तगड़ा झटका

जहां भारतीय कारोबारी अच्छा व्यापार (Diwali Record Business ) होने के कारण जश्न मना रहे हैं. वहीं चीन को लगभग एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. देश के लोग भारत में बने प्रोडक्ट की ज्यादा मांग कर रहे हैं. जिसके कारण चीन का व्यापार प्रभावित हुआ. इससे चीन की इकोनॉमी भी काफी प्रभावित हुई है. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने ड्रैगन को लगे इस तगड़े झटके की जानकारी दी.

कैट की तरफ से जानकारी दी गई कि दिवाली के मौके पर 3.75 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हुआ. यह आंकड़ा कुछ दिनों में ही चार लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएंगा. जारी आंकड़ा केवल दिवाली के दिन तक का ही है. इसके बाद गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ और तुलसी पूजा के बाद यह आंकड़ा पांच लाख करोड़ रुपये तक भी जा सकता है.

कैसे हुआ चीन को नुकसान

खंडेलवाल ने बताया कि हर साल दिवाली के मौके पर बाजार में चीनी प्रोडक्‍ट का दबदबा रहता है. सस्ते सामान और भारतीयों की पसंद और जरूरत के सामान बेचकर हर साल बाजार में चाइनीज प्रोडक्‍ट 70 प्रतिशत तक रहते थे. लेकिन इस बार इसमें कमी दर्ज हुई है. मार्केट में आम जनता ही नहीं बल्कि कारोबारियों ने भी चीन से सामान इंपोर्ट करना कम किया.

किस सेक्टर में कितना हुआ कारोबार हर बार के जैसे इस बार भी कुल कारोबार में किराना सामान और खाद्य पर सबसे ज्यादा 13% का खर्च हुआ. इसके बाद कपड़ों पर 12% , ज्वेलरी पर 9%, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मोबाइल पर 8%, कास्मेटिक्स पर 6%, ड्राई फ्रूट पर 4 प्रतिशत, मिठाई-नमकीन पर 3% और सजावट पर भी तीन प्रतिशत खर्च हुआ.

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