भारत जैसे देशों में कई वयस्क किडनी की बीमारी के साथ ही जी रह रहे हैं और उन्हें इसके बारे में पता भी नहीं हैं। किडनी की बीमारी के कई शारीरिक लक्षण होते हैं, लेकिन कभी-कभी लोग उन्हें अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के लिए जिम्मेदार मानकर नजरअंदाज कर देतें हैं। इसके अलावा, किडनी की बीमारी वाले कुछ लोग किडनी रोग होने कि लास्ट स्टेज तक लक्षणों का अनुभव नहीं करते हैं, जब तक की उनकी किडनी फ़ैल होने वाली होती है या जब मूत्र में बड़ी मात्रा में प्रोटीन आने लगता हैं। डॉ. राजन इसाक एमडी, मेडिसिन डीएम (नेफ्रोलॉजी) कहते हैं यही कारण है कि क्रोनिक किडनी रोग के केवल 10% लोगों को ही पता चल पाता है कि उन्हें किडनी रोग है। क्रोनिक किडनी डिजीज का मतलब है कि आपकी किडनी खराब है और ब्लड को सही तरीके से फिल्टर नहीं कर पा रही है।
डॉ. राजन इसाक एमबीबीएस, एमडी, मेडिसिन डीएम (नेफ्रोलॉजी) ने कहा किडनी कई वर्षों में धीरे-धीरे खराब होती हैं। हर साल किडनी की बीमारी के चलते लाखों लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। इसलिए यह पता लगाने के लिए कि आपको किडनी की बीमारी है या नहीं, का एकमात्र तरीका है, इसके संभावित लक्षणों पर नजर रखना और जरुरी जांच कराते रहना। इस लेख में हमने ऐसे ही कुछ मुख्य लक्षण और संकेत बताये हैं जिनसे आपको किडनी की बीमारी हो सकती है।
यदि आपको उच्च रक्तचाप, मधुमेह, किडनी फ़ैल होने का पारिवारिक इतिहास या 60 वर्ष से अधिक आयु के कारण किडनी की बीमारी होने का खतरा है, तो किडनी की बीमारी के लिए सालाना जांच करवाना महत्वपूर्ण है। अपने डॉक्टर से उन सभी लक्षणों पर चर्चा करें जो आप अनुभव कर रहे हैं।
किडनी के मुख्य अंग
किडनी का सबसे मुख्य हिस्सा नेफ्रॉन (Nephron) होता है, जिनकी संख्या प्रत्येक किडनी में करीब 10 लाख होती है। इनमें ब्लड जाने के बाद उसको फिल्टर करके मिनरल और वेस्ट मटेरियल को अलग-अलग किया जाता है। नेफ्रॉन के तीन मुख्य भाग होते हैं, जिनमें रीनल कॉर्पसकल (Renal Corpuscle) और रीनल ट्यूबल्स (Renal Tubules) शामिल होते हैं। नेफ्रॉन के अलाव, किडनी में रीनल कॉर्टेक्स (Renal Cortex) भी होता है, जो किडनी का बाहरी हिस्सा होता है और यह किडनी के अंदरुनी हिस्से को सुरक्षा प्रदान करता है। किडनी के अन्य हिस्सों में रीनल मेडुला (Renal Medulla), रीनल पेल्विस (Renal pelvis) होता है।
किडनी रोग को इस तरह समझें
किडनी का सबसे मुख्य हिस्सा नेफ्रॉन (Nephron) होता है, जिनकी संख्या प्रत्येक किडनी में करीब 10 लाख होती है। इनमें रक्त जाने के बाद उसको फिल्टर करके मिनरल और वेस्ट मटेरियल अलग-अलग किया जाता है। कोई भी बीमारी जो नेफ्रॉन को नुकसान पहुचाती है, उससे किडनी की बीमारी भी हो सकती है। हमारी किडनी हर मिनट लगभग आधा कप खून को फिल्टर करके शरीर से अतिरिक्त पानी और अपशिष्ट पदार्थों (Waste materials) को पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकालती है। यह पेशाब आपकी दोनों किडनी से यूरेटर (यूरेटर या मूत्रवाहिनी एक ट्यूब है जो मूत्र को गुर्दे से मूत्राशय तक ले जाती है।) के माध्यम से ब्लैडर में पहुंचकर संग्रहित होता है। किडनी, यूरेटर, ब्लैडर और यूरेथ्रा से मिलकर यूरिनरी ट्रैक्ट सिस्टम बनता है।
इसके अलावा, किडनी शरीर में पानी और अन्य मिनरल के संतुलन को बनाने का भी कार्य करती है। हमारी हड्डियों की मजबूती के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है। किडनी, विटामिन-डी का मेटाबॉलिज्म (चयापचय) करके उसे हड्डियों द्वारा अवशोषित करने के लिए उपयुक्त बनाती है। दूसरी तरफ, किडनी शरीर के ब्लड प्रेशर को संयमित रखने में भी मदद करती है। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह क्रोनिक किडनी डिजीज का मुख्य कारण माने जाते हैं। (ज़यादातर किडनी की बीमारी मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर की वजह से ही होती है।)
किडनी रोग के लक्षण – Kidney Diseases Symptoms
हमारे शरीर में दो किडनी होती हैं। इनका मुख्य काम है यूरिन बनाने के लिए आपके रक्त से अपशिष्ट पदार्थों और अतिरिक्त पानी को फिल्टर करके बाहर निकालना और शरीर के रासायनिक संतुलन को बनाए रखना है। इसके आलावा हमारी किडनी ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने और हॉर्मोन बनाने में सहायता करती है। मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर क्रोनिक किडनी डिजीज के सबसे सामान्य कारण हैं। आइये जानतें हैं ऐसे 12 संकेत जो बताते हैं आपको किडनी की बीमारी हो सकती है-
आप अधिक थके हुए रहते है या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है
किडनी के सही से कार्य न करने के कारण ब्लड में विषाक्त पदार्थों और अशुद्धियों का अधिक निर्माण हो सकता है। यह लोगों को थका हुआ, और कमजोरी महसूस करने का कारण बन सकता है और इससे ध्यान केंद्रित करने में भी कठिनाई हो सकती है। किडनी की बीमारी का एक और संकेत एनीमिया यानी खून की कमी होना है, जो कमजोरी और थकान का कारण बन सकता है।
किडनी रोग के लक्षण आपको सोने में दिक्कत हो रही है
जब किडनी ठीक से फ़िल्टर नहीं करती है, तो टॉक्सिन मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकलने के बजाय रक्त में ही रह जाते हैं। इससे नींद आना मुश्किल हो सकता है।
मोटापा का भी क्रोनिक किडनी रोग से गहरा संबंध है, और क्रोनिक किडनी रोग वाले लोगों में स्लीप एपनिया सामान्य जनसंख्या की तुलना में अधिक आम है।
बेहोशी या चक्कर आना हो सकता है किडनी रोग का लक्षण
खून की कमी (एनीमिया) के कारण शरीर में पर्याप्त खून न होने पर मस्तिष्क को उचित मात्रा में खून नहीं मिल पाता। इसका मतलब है कि इससे दिमाग तक खून के साथ पहुंचने वाली ऑक्सीजन की मात्रा में भी कमी आ जाती है। इसकी वजह से ही बेहोशी या चक्कर आने शुरू हो सकते हैं।
किडनी रोग के लक्षण ड्राई और खुजलीदार त्वचा
किडनी रोग होने की वजह से खून फिल्टर होने की प्रक्रिया कमजोर हो जाती है, जिससे खून में मौजूद वेस्ट मटेरियल शरीर से बाहर नहीं निकल पाता। यही वेस्ट मटेरियल और हानिकारक तत्व शरीर में जमा होने की वजह से त्वचा पर खुजली जैसी समस्या उत्पन्न होने लगती हैं।
स्वस्थ किडनी मानव शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। वह आपके शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ निकालती है, लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करती हैं, हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करती हैं और आपके खून में खनिजों की सही मात्रा को बनाए रखने का काम करती है।
ड्राई और खुजली वाली त्वचा खनिज और हड्डी की बीमारी का संकेत हो सकती है जब किडनी आपके रक्त में खनिजों और पोषक तत्वों का सही संतुलन रखने में सक्षम नहीं होती है, जो अक्सर एडवांसएड किडनी की बीमारी (advanced kidney disease) के साथ जुड़ी होती है।
आपको अधिक बार पेशाब करने की इक्षा महसूस होती है
यदि आपको बार-बार पेशाब करने की इक्षा महसूस होती है, खासकर रात में, तो यह किडनी की बीमारी का लक्षण हो सकता है। जब किडनी के फिल्टर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो यह पेशाब करने की इच्छा में वृद्धि का कारण बन सकते है। कभी-कभी यह पुरुषों में मूत्र संक्रमण (urinary infection) या बढ़े हुए प्रोस्टेट (enlarged prostate) का संकेत भी हो सकता है।
किडनी रोग के लक्षण पेशाब में ब्लड आना
किडनी खराब होने की वजह से न सिर्फ मिनरल, बल्कि खून भी आपके पेशाब के जरिए बाहर निकल सकता है। स्वस्थ किडनी आमतौर पर शरीर में रक्त कोशिकाओं को वापिस भेज देती है, जब यह मूत्र को बनाने के लिए रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को छानती हैं। लेकिन जब किडनी के फ़िल्टर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो ये रक्त कोशिकाएं मूत्र में रिसना शुरू हो सकती हैं। जो किडनी रोग होने का लक्षण हो सकता है। किडनी की बीमारी का संकेत देने के अलावा, यूरिन में ब्लड का आना, ट्यूमर, किडनी की पथरी (kidney stones) या किसी प्रकार के संक्रमण का संकेत भी हो सकता है।
गुर्दे की बीमारी के लक्षण आपका मूत्र झागदार है
मूत्र में अत्यधिक बुलबुले – विशेष रूप से वे जिन्हें आपको कई बार फ्लश करने की आवश्यकता होती है – मूत्र में प्रोटीन को इंगित करते हैं। यह फोम आपको जब अंडे को फोड़ते हैं तब दिखने वाले झाग की तरह लग सकता है, जैसा कि मूत्र में पाया जाने वाला एल्ब्यूमिन सामान्य प्रोटीन है, वही अंडे में भी पाया जाता है।
आप अपनी आंखों के चारों ओर लगातार सूजन का अनुभव कर रहे हैं
मूत्र में प्रोटीन एक प्रारंभिक संकेत है कि किडनी के फिल्टर क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, जिससे प्रोटीन मूत्र में लीक हो सकता है। आपकी आंखों के आस-पास यह सूजन इस कारण से भी हो सकती है कि आपकी किडनी शरीर में प्रोटीन रखने के बजाय मूत्र में बड़ी मात्रा में इसका रिसाव कर रही है।
किडनी की बीमारी के लक्षण आपकी एड़ियों और पैरों में सूजन है
जब किडनी रोग होता है, तो मनुष्य के शरीर में अतिरिक्त फ्लूड एकत्रित होने लगता है। जो कि किसी भी शारीरिक अंग में हो सकता है, जैसे- हाथ, पैर या दोनों में। इसके आलावा किडनी रोग होने के कारण सोडियम प्रतिधारण (sodium retention) हो सकता है, जिससे आपके पैरों और एड़ियों में सूजन आ सकती है। निचले पैरों में सूजन, हृदय रोग, यकृत रोग और कई दिनों से चली आ रही पैर की शिराओं की समस्याओं (chronic leg vein problems) का संकेत भी हो सकती है।
किडनी रोग के लक्षण आपको भूख कम लगती है
भूख कम लगना किडनी रोग होने का एक बहुत ही सामान्य लक्षण है, लेकिन किडनी के कम कार्य करने के परिणामस्वरूप विषाक्त पदार्थों का निर्माण इसका एक कारण हो सकता है।
किडनी रोग होने की वजह से जब हमारे खून में वेस्ट मटेरियल जमा होने लगता है, तो इस स्थिति को यूरेमिया (Uremia) कहा जाता है। यूरेमिया रक्त में यूरिया के उच्च स्तर होने की स्थिति है। इसी समस्या की वजह से खाने का टेस्ट अलग लगने की समस्या होने लगती है। जिससे आपको भूख लगने में कमी भी आ सकती है, जिसकी वजह से शरीर को पर्याप्त पोषण न मिलने की वजह से वजन भी घटने लगता है
मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है किडनी रोग के लक्षण
इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन किडनी ख़राब होने के परिणाम स्वरूप हो सकता है। उदाहरण के लिए, कम कैल्शियम का स्तर और खराब तरीके से नियंत्रित फास्फोरस मांसपेशियों की ऐंठन में योगदान कर सकते हैं।
किडनी की बीमारी के लक्षण पेशाब करने के दौरान प्रेशर
गुर्दे या किडनी रोग होने की वजह से किडनी यूरिन का निर्माण करना बंद भी कर सकती है। जिससे, आपको पेशाब करते समय प्रेशर महसूस हो सकता है।
किडनी रोग होने का खतरा किसे अधिक होता है?
गुर्दे कि बीमारी होने का खतरा कई फैक्टर पर निर्भर करता है। आइए, जानते हैं कि कौन सी स्थितियों में व्यक्ति को किडनी रोग होने का खतरा अधिक होता है।
किडनी रोग होने का खतरा उन्हें अधिक होता है जिनकी उम्र ज्यादा होती हैं।
जिन लोगों का ब्लड प्रेशर हाई रहता है।
अगर आपकी फैमिली में किसी को पहले कभी किडनी की बीमारी हुयी हो तब आपको किडनी रोग होने का खतरा ज्यादा होता है ।
जिन व्यक्तियों को डायबिटीज होती है उन्हें भी किडनी रोग होने का खतरा ज्यादा होता है।
भौगोलिक फैक्टर की वजह से किडनी रोग होने का खतरा बढ़ सकता है। जैसे- अफ्रीकी और अमेरीकन लोगों को इस बीमारी के होने का खतरा ज्यादा होता है।
किडनी रोग से बचने के लिए डायट और जीवनशैली संबंधी बदलाव
आइये जानतें हैं किडनी रोग को कैसे रोका जा सकता है? हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह को कंट्रोल करके किडनी रोग के खतरों को कम किया जा सकता है। किडनी रोग से बचाव के लिए आपको अपनी डायट और लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव करने होते हैं। जिससे, इस रोग के होने की गंभीरता कम होने लगती है। आइए, इन बदलावों के बारे में बिस्तार से जानते हैं।
पने खाने में नमक की मात्रा कम करें। और खाने में ऊपर से नमक का इस्तेमाल करना छोड़ दें।
अपनी डायट में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों को कम करें।
यदि शुगर की बीमारी है तो उसे दवा लाइफस्टाइल या इंसुलिन इंजेक्शन की मदद से डायबिटीज नियंत्रित करें।
रोज के खाने में अधिक मात्रा में ताजे फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, और लो-फैट डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करें।
अधिक वजन है तो वजन नियंत्रित करें।
शराब का सेवन कम करें या हो सके तो बंद करें।
स्मोकिंग करना छोड़ दें।
एक्सरसाइज, योग और व्यायाम जैसी शारीरिक गतिविधि को बढ़ाएं।
पर्याप्त मात्रा में साफ पानी पीएं।
अपने ब्लड प्रेशर की समय-समय पर जांच करवाते रहें और यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है, तो डॉक्टर के द्वारा दी गयी दवाई भी नियमित रूप से लेते रहें।
अपनी खाने में अत्यधिक सोडियम युक्त पदार्थों को शामिल न करें, जैसे चिप्स और पैक्ड फ़ूड आइटम।
आहार में मीट या चिकन जैसे एनिमल प्रोटीन का सेवन न करें।
संतरे, नींबू या चकोतरा जैसे सिट्रिक एसिड वाले खट्टे फलों का सेवन न करें।
पालक, शकरकंदी, चॉकलेट आदि में ऑक्सलेट (Oxalate) नामक कैमिकल पाया जाता है, जो कि किडनी रोग को और अधिक बढ़ा सकता है। इसलिए इन चीजों का सेवन भी नियंत्रित मात्रा में ही करें।
अब तो आप जान गए होगें की किडनी रोग होने पर शरीर हमें क्या संकेत देता है और किडनी की बीमारी के लक्षण क्या होते हैं यदि आपको ऐसा लगता है कि आपको किडनी की गंभीर समस्या है, तो इसकी जानकारी के लिए आपको किडनी की नियमित जांच करानी चाहिए। यदि आपको किडनी रोग है, तो ब्लड और यूरिन टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है। यही इसकी जांच का एकमात्र तरीका है। अधिकतर मामलों में किडनी की बीमारी के लक्षण उस वक्त उभरकर सामने आते हैं, जब किडनी 60 से 65% तक डैमेज हो चुकी होती है। इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। इसलिए समय रहते इसके लक्षणों की पहचान किया जाना बहुत जरूरी होता है।
किडनी रोग का निदान शीघ्र करने पर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को अपने डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों व सलाह का पालन करना चाहिए। किडनी फेल होने के गंभीर मरीजों को डायालिसिस और किडनी प्रत्यारोपण जैसे इलाज की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
Dr. Rajan Isaacs
MBBS, MD, Medicine DM (Nephrology
Did Graduation (MBBS) Post Graduation (MD, Medicine) from Christan Medical College, Ludhiana and DM (Nephrology) from All India Institute of Medical Sciences, Delhi. Worked as Assistant then associate professor and Deputy Medical Superintendent at CMC