पंजाबीहेडलाइन – डॉ गुरविंदर कौर एमबीबीएस, एमएस नेत्र विज्ञान प्रोफेसर और प्रमुख नेत्र विज्ञान विभाग डीएमसी ने वताया वि श्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, ग्लूकोमा दुनिया भर में अंधापन का दूसरा प्रमुख कारण है।
काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) क्या है – What Is Glaucoma
ग्लूकोमा आँखों में होने वाली एक जटिल समस्या है। जो आँखों के आप्टिकल नर्ब पर अधिक प्रभाव पड़ने के कारण होता है। यह प्रभाव आप्टिकल नर्व को नुकसान पहुचता है, आप्टिकल नर्व वह होती है जो आँखों के संदेश को दिमाक तक ले जाने का कार्य करती है। आखो के सामने वाले हिस्से में एक द्रव्य पाया जाता है जो हमारी आँखों को पोषण प्रदान करता है। ये सफेद द्रव्य अधिक मात्र में बनने लगता है तथा लगातार आँखों से बाहर आता है। इस आवस्था में आखो पर अधिक पभाव पडता है, जिससे आँखों की रौशनी धीरे धीरे प्रभावित होने लगती है।
ग्लूकोमा का सबसे आम प्रकार प्राथमिक ओपन-एंगल ग्लूकोमा है। काला मोतियाबिंद होने पर धीरे-धीरे दृष्टि हानि को छोड़कर इसमें कोई विशेष संकेत या लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। इसी कारण से, यह महत्वपूर्ण है कि आप सालाना आँखों की जांच करायें ताकि आपके नेत्र रोग विशेषज्ञ, या आंख विशेषज्ञ, आपकी दृष्टि में किसी भी बदलाव की निगरानी कर सकें।
ग्लूकोमा के लक्ष्ण में शामिल है
आँखों मे रौशनी का कम होना।
आँखों में दर्द होना और उनका लाल बने रहना ।
सर में दर्द बने रहना साथ ही आँखों में भी सूजन बने रहना ।
जी मचलना या बिना किसी कारण के उल्टी होना ।
आँखों में धुधलापन छाना व रौशनी के चारो और रंग बिरंगे छल्ले दिखाई देना ।
आँखों में सूखापन महसूस होना।
अचानक से कम दिखाई देने लगना।
ग्लूकोमा बी.पी तथा शुगर और हार्ट की बीमारी की अवस्था में अधिक देखा जाता है।
काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) के कारण
ग्लूकोमा आमतोर पर आँखों में आप्टिकल नर्व पर दबाव बढ़ने के कारण होता है ।
ग्लूकोमा मुख्यता आँखों में घाव या किसी तरह की सर्जरी के कारण होता है, ट्यूमर के करण भी आँखों में ग्लूकोमा की अवस्था आ जाती है।
आपकी आंखों में अवरुद्ध या प्रतिबंधित जल (द्रव्य) निकासी।
आपके ऑप्टिक तंत्रिका में खराब या कम रक्त प्रवाह।
उच्चरक्त चाप वाले व्यक्ति तथा शुगर की अवस्था में ग्लूकोमा की गंभीर अवस्था को देखा जाता है।
ग्लूकोमा आमतोर पर आँखों में आप्टिकल नर्व पर दबाव बढ़ने के कारण होता है ।
ग्लूकोमा मुख्यता आँखों में घाव या किसी तरह की सर्जरी के कारण होता है, ट्यूमर के करण भी आँखों में ग्लूकोमा की अवस्था आ जाती है।
आपकी आंखों में अवरुद्ध या प्रतिबंधित जल (द्रव्य) निकासी।
आपके ऑप्टिक तंत्रिका में खराब या कम रक्त प्रवाह।
उच्चरक्त चाप वाले व्यक्ति तथा शुगर की अवस्था में ग्लूकोमा की गंभीर अवस्था को देखा जाता है।
काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) का खतरा किसे अधिक होता है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, ग्लूकोमा दुनिया भर में अंधापन का दूसरा प्रमुख कारण है।
ग्लूकोमा के जोखिम कारकों में शामिल हैं:
आयु (Age) 60 साल से अधिक में लोगों को ग्लूकोमा का खतरा बढ़ रहा है और ग्लूकोमा का खतरा हर साल उम्र के साथ थोड़ा बढ़ता है। कुछ खास परिस्थितियों में काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) की वृद्धि 40 वर्ष की उम्र में शुरू होती है।
आंख की समस्याएं (Eye Problems) पुरानी आंख की सूजन और पतली कॉर्निया आपकी आंखों में दबाव बढ़ा सकती है। आपकी आंखों में शारीरिक चोट या आघात, जैसे किसी के द्वारा आपकी आंखों में मारा जा रहा है, आपके आंखों के दबाव में भी वृद्धि कर सकता है।
परिवार के इतिहास (Family History) कुछ प्रकार के ग्लूकोमा परिवारों में चल सकते हैं। अगर आपके माता-पिता या दादाजी के पास खुले कोण ग्लूकोमा (open-angle glaucoma) था, तो आप इस स्थिति को विकसित करने के जोखिम में हैं।
चिकित्सा का इतिहास (Medical History) मधुमेह वाले लोगों और उच्च रक्तचाप और हृदय रोग वाले लोगों में ग्लूकोमा विकसित करने का जोखिम बढ़ गया है।
ग्लूकोमा किस उम्र में हो सकता है
आधिकाश ग्लूकोमा 60 की उम्र में अधिक देखा जाता है। क्योंकी उम्र के साथ आँखों की रोशन पर प्रभाव पड़ने लगत है। बच्चो में ग्लूकोमा सामान्य आनुवांशिक या जन्मजात ही पाया जाता है ।
आइये जानते है ग्लूकोमा से बचाव के लिए किस उम्र में आँखों का परीक्षण किया जाना चाहिए:
35 वर्ष की उम्र के बाद हर साल या दो परीक्षण किया जाना चाहिए
40 साल से पहले, हर दो साल में एक बार तक।
40 साल से 54 वर्ष की उम्र तक, हर एक से तीन साल तक।
55 से 64 वर्ष की उम्र तक, हर एक से दो साल।
65 साल की उम्र के बाद, हर छह से 12 महीने।
काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) की जांच
इस परिक्षण के आँखों पर पड़ने वाले आतिरिक्त दवाब को मापा जाता है। परिक्षण के द्वारा आँखों पर जो अधिक प्रभाव पड़ता है उससे ग्लूकोमा की स्थति का पता लगाया जाता है ।
पैचिमेट्री टेस्ट -Pachymetry Test
यह परिक्षण आँखों की रोशनी देखने की क्षमता के लिए किया जाता है यह परिक्षण बताता है की हमारे देखने की क्षमता, आपकी केंद्रीय दृष्टि को कितना प्रभाव डालती है। जिसके कारण ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है।
आप्टिकल नर्व तंत्र की स्थिति – Monitoring Your Optic Nerve
इस परिक्षण में आप्टिकल नर्व की स्थिति के बारे में जाना जाता है ।आप्टिकल नर्व की तस्बीरे ले कर उनकी स्थिति की तुलना की जाती है और आप्टिकल नर्व कि अवस्था की जानकारी ली जाती है ।
आर.एन.एफ.एल. जांच एक अत्यंत सहज, आरामदायक व जल्द हो जाने वाली जांच है। जो लोग ग्लूकोमा से पीड़ित हैं, उन्हें प्रतिवर्ष इस जांच को कराना चाहिए।
Dr Gurvinder Kaur
MBBS, MS Ophthalmology
Professor & Head
Department of Ophthalmology
Dayanand Medical College & Hospital
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OPD Days: Monday & Thursday
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